स्थिति एवं निर्देश तंत्र Position or Frame

स्थिति Position
स्वयं से किसी वस्तु की दिशा एवं दूरी का निर्धारण करना उस वस्तु की स्थिति कहते है। जैसे जब हम किसी अज्ञात स्थान के बारे में जानकारी करते है तो सबसे पहले यह जाना जाता है की वह स्थान किस दिशा में है और फिर उसकी दूरी जानकार हम उस स्थान का सही-सही ज्ञान कर लेते है। इस प्रकार दूरी ओर दिशा के द्वारा किसी वस्तु का सही-सही ज्ञान करना ही उस उस वस्तु की स्थिति निर्धारण कहलाता है। भौतिकी में किसी गतिमान वस्तु के बारे में किसी समय विशेष के बारे में जानकारी इसी विधि से प्राप्त की जाती है।
निर्देश तंत्र  Frame 
जब कसी वस्तु की स्थिति का निर्धारण किया जाता है तो हमें किसी एक विशेष स्थान को या बिन्दु को स्थिर मानना होता है। इस स्थिर बिन्दु को प्रेक्षण बिन्दु कहा जाता है। इसे O से निर्देशित किया जाता है। इस प्रेक्षण बिन्दु से तीन परस्पर लम्बवत दिशा का निर्धारण किया जाता है, जिन्हें क्रमशः X-अक्ष, Y-अक्ष तथा Z-अक्ष कहा जाता है। इस प्रकार निर्देश बिन्दु से किसी वस्तु की दिशा एवं दूरी का निर्धारण जिस भौतिक निकाय के द्वारा किया जाता है उसे निर्देश तंत्र कहते है।

निर्देश तंत्र में किसी वस्तु की दिशा एवं दूरी को निर्धारित करने के लिए स्थित सदिश का प्रयोग किया जाता है। जैसे माना x, y तल में एक बिन्दु p स्थित है जिसके निर्देशांक (x, y) है। तो बिन्दु का स्थित सदिश

r =xi ̂+yj ̂

यदि बिन्दु आकाश में स्थित है और इसके निर्देशांक (x, y, z) हो तो इसका स्थित सदिश

r =xi ̂+yj ̂ +zk ̂

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