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Showing posts from October, 2021

स्थिति-समय ग्राफ Position-Time Graph

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स्थिति-समय ग्राफ Position-Time Graph गति के दौरान किसी कण के गति के घटक चर v, a, s समय के साथ बदलते रहते है , जिन्हे ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। जब ग्राफ के द्वारा समय के साथ किसी गतिमान कण की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है तो इसे स्थिति-समय ग्राफ कहते है। स्थिति-समय ग्राफ में हम X- अक्ष पर समय t तथा Y- अक्ष पर कण की स्थिति y को दर्शाते है। जैसे की चित्र में दिखाया गया है- माना किसी गतिमान कण के लिए स्थिति-समय ग्राफ AB है तब , वेग = स्थिति में परिवर्तन/लिया गया समय v = y 2 – y 1 / t 2 – t 1 --------- (i) त्रिभुज ABC से , tan θ = BC/AC = AD/AC = y 2 – y 1 / t 2 – t 1 --------(ii) समीकरण ( i ) व ( ii ) की तुलना करने पर v = tan θ अतः स्पष्ट है कि स्थिति-समय ग्राफ की प्रवणता कण के वेग को प्रदर्शित करती है।   विभिन्न स्थिति-समय ग्राफ तथा उनकी व्याख्या   ग्राफ - 1 जब   θ  = 0° अतः  v = 0 अर्थात समय अक्ष के समान्तर रेखा कण की विराम स्थिति को प्रदर्शित करती है।   ग्राफ - 2 जब   θ  =90° अतः v = ∞ ...

त्वरण Acceleration

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त्वरण Acceleration किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर उसका त्वरण कहलती है।  यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा वेग परिवर्तन की दिशा होती है तथा इसका मात्रक मीटर/वर्ग सेकण्ड होता है। इसे a से प्रदर्शित करते है।  वेग की दिशा में परिवर्तन तीन प्रकार से होता है- जब केवल वेग की दिशा परिवर्तित हो , तो इस अवस्था में त्वरण वेग के लम्बवत होता है। जैसे – एकसमान वृत्तीय गति। जब केवल वेग का परिमाण परिवर्तित हो , तो इस अवस्था में त्वरण वेग के समान्तर अथवा प्रतिसमान्तर होता है। जैसे – गुरुत्व के अधीन गति। जब वेग के परिमाण तथा दिशा दोनों परिवर्तित हो , तो इस अवस्था में त्वरण के दो घटक होते है , एक वेग के लम्बवत तथा दूसरा वेग के समान्तर या प्रतिसमान्तर होगा। जैसे – प्रक्षेप्य गति। वेग में परिवर्तन के आधार पर त्वरण चार प्रकार का होता है- एकसमान त्वरण परिवर्ती त्वरण औसत त्वरण तात्क्षणिक त्वरण 1- एकसमान त्वरण   यदि कण की गति के दौरान त्वरण का परिमाण व दिशा नियत रहे तो कण का त्वरण एकसमान कहलाता है। जैसे – पृथ्वी तल पर गिरते पिंड की गति में लगने वाला गुरुत्वीय त्वरण। 2- परिवर्ती त्वरण...

चाल तथा वेग में तुलना Speed and Velocity comparison

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चाल तथा वेग में तुलना 1- चाल एक अदिश राशि है जबकि औसत वेग सदिश राशि है। दोनों कें मात्रक तथा विमा समान है। 2- चाल तथा वेग उस समय अन्तराल पर निर्भर करता है , जिसमें यह परिभाषित होता है। दिए गए समय अन्तराल के लिए औसत वेग का सिर्फ एक ही मान होता जबकि औसत चाल के कई मान हो सकते है जो तय किए गए पथ पर निर्भर करते है। 3- यदि वस्तु गति के पश्चात अपनी प्रारम्भिक स्थिति में लौट आती है तो वस्तु का औसत वेग शून्य होगा परन्तु चाल कभी शून्य नहीं हो सकती। 4- गतिमान वस्तु के लिए औसत चाल कभी ऋणात्मक नहीं हो सकती जबकि औसत वेग ऋणात्मक हो सकता है। 5- किसी गतिमान कण के लिए यह सम्भव हो सकता है कि उसकी तात्क्षणिक चाल नियत हो परन्तु तात्क्षणिक वेग परिवर्ती हो। जैसे – वृत्तीय मार्ग पर नियत चाल से गतिमान कण की गति। 6- तात्क्षणिक वेग का मान सदैव तात्क्षणिक चाल के बराबर होता है। 7- यदि कोई कण नियत वेग से गतिमान है , तब इनके औसत वेग तथा तात्क्षणिक वेग सदैव सामन होंगें। 8- यदि विस्थापन समय का फलन है , तो विस्थापन का समय के साथ अवकलन , वेग के तुल्य होता है। अर्थात  माना विस्थापन  x = A 0 + A 1 t + ...

वेग Velocity

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वेग Velocity  किसी गतिमान वस्तु की एक निश्चित दिशा में स्थिति परिवर्तन की दर को वस्तु की चाल कहते है। यह एक सदिश राशि है , जिसे वेक्टर v से प्रदर्शित करते है। इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। समय के साथ विस्थापन परिवर्तन के आधार पर वेग के चार प्रकार होते है- 1- एकसमान वेग 2- असमान वेग 3- औसत वेग 4- तात्क्षणिक वेग 1- एकसमान वेग   जब कोई कण समान समय अन्तरालों में समान विस्थापन तय करती है अर्थात इसका परिमाण एवं दिशा दोनों ही समान हो तो इसका वेग एकसमान कहलाता है। उदाहरण 1- एकसमान चाल से वृत्तीय पथ पर घूमते कण की गति 2- पृथ्वी के चारों ओर घूमते उपग्रह की गति 2- असमान वेग   जब कोई कण समान समय अन्तरालों में असमान विस्थापन तय करती है अर्थात इसकी दिशा एवं परिमाण भिन्न भिन्न हो तो इसका वेग   असमान या परिवर्ती कहलाता है। उदाहरण 1- सड़क पर चलती किसी बस की गति 2- नदी में बहते जल की गति 3- औसत वेग   किसी दिए गए समय अन्तराल में तय कुल विस्थापन तथा कुल समय के अनुपात को औसत वेग कहते है। अतः औसत वेग = तय कुल विस्थापन/लिया गया कुल समय इसे v av ⃗ से प्र...

चाल Speed

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चाल Speed किसी गतिमान वस्तु की स्थिति परिवर्तन की दर को वस्तु की चाल कहते है। यह एक अदिश राशि है , जिसे v से प्रदर्शित करते है। इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। समय के साथ स्थिति परिवर्तन के आधार पर चाल के चार प्रकार होते है- 1- एकसमान चाल 2- असमान चाल 3- औसत चाल 4- तात्क्षणिक चाल 1-  एकसमान चाल जब कोई कण समान समय अन्तरालों में समान दूरी तय करती है तो इसकी चाल एकसमान चाल कहलाती है। उदाहरण निर्वात में प्रकाश की चाल   वायु में ध्वनि की चाल 2- असमान चाल जब कोई कण समान समय अन्तरालों में असमान दूरी तय करती है तो इसकी चाल असमान चाल या परिवर्ती चाल कहलाती है। उदाहरण सड़क पर चलती किसी बस की चाल   नदी में बहते जल की चाल   3- औसत चाल किसी दिए गए समय अन्तराल में चली गई कुल दूरी तथा कुल समय के अनुपात को औसत चाल कहते है। अतः  औसत चाल = चली गई कुल दूरी/लिया गया कुल समय,  इसे v av से प्रदर्शित करते है। अतः v av = ∆s / ∆t यह दो प्रकार की होती है- समय औसत चाल   दूरी औसत चाल   1- समय औसत चाल – जब कोई कण भिन्न-भिन्न समय अन्तरालो में भिन्न...

दूरी तथा विस्थापन Distance and Displacement

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दूरी तथा विस्थापन Distance and Displacement दूरी -:   दिए गए समय अंतराल में गतिमान कण द्वारा तय किए गए वास्तविक पथ की लम्बाई को दूरी कहते है। यह एक अदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर है। विस्थापन-:   किसी वस्तु के स्थिति सदिश में परिवर्तन को उसका विस्थापन कहते है। यह एक सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर है। दूरी तथा विस्थापन के बीच तुलना 1- विस्थापन का परिमाण , दो स्थितियों के बीच न्यूनतम संभव दूरी के बराबर होता है , जबकि दूरी दो स्थितियों के बीच की अधिकतम माप होती है। अतः दूरी ≥ विस्थापन   चित्र में A से C तक के मार्ग के लिए दूरी 3 + 4 = 7 m तथा विस्थापन 5 m 2- गतिमान कण के लिए दूरी कभी ऋणात्मक अथवा शून्य नहीं हो सकती जबकि विस्थापन हो सकता है। 3- दो बिंदुओं के मध्य गति के लिए विस्थापन अद्वितीय फलन होता है , जबकि दूरी वास्तविक पथ पर निर्भर करती है तथा इसके अनन्त मान हो सकते है। 4- गतिमान कण के लिए दूरी समय के साथ कभी घट नहीं सकती जबकि विस्थापन समय के साथ घट सकता है। समय के साथ विस्थापन के घटने का अर्थ है कि वस्तु प्रारम्भिक बिन्दु की ओर गतिमान है। 5- सामान्यतः विस...

कण अथवा बिन्दु द्रव्यमान Particle or Point Mass

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कण अथवा बिन्दु द्रव्यमान Particle or Point Mass पदार्थ का सबसे सूक्ष्म भाग जिसकी विमाएं शून्य हो तथा जिसे द्रव्यमान तथा स्थिति से अभिव्यक्त किया जा सके कण अथवा बिन्दु द्रव्यमान कहलाता है। यदि वस्तु का आकार , वस्तु द्वारा तय की गई दूरी की तुलना में नगण्य हो तो इसे कण कहते है। एक वस्तु को कण कहा जाना , गति के प्रकार पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति में विभिन्न ग्रहों को कण माना जा सकता है। उपरोक्त अवधारणा में जब किसी वस्तु को कण मानते है तो वस्तु के सभी भागों में विस्थापन , वेग तथा त्वरण समान होता है।   

विराम तथा गति Rest and Motion

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विराम तथा गति Rest and Motion जब कोई वस्तु समय के साथ दिए गए निर्देश तंत्र के सापेक्ष अपनी स्थिति नहीं बदलता तो यह विराम में कही जाती है तथा इसके विपरीत यदि कोई वस्तु समय के साथ निर्देश तंत्र के सापेक्ष अपनी स्थिति बदलती है तो यह गति कही जाती है। अतः विराम तथा गति सापेक्ष पद है , जो कि निर्देश तंत्र पर निर्भर करती है। समय के साथ निर्देश तंत्र की X- अक्ष , Y- अक्ष तथा Z- अक्ष के सापेक्ष स्थिति परिवर्तन के आधार पर गति तीन प्रकार की होती है- एक विमीय गति द्विविमीय गति त्रिविमीय गति   एक विमीय गति सरल रेखा में वस्तु की गति एकविमीय गति कहलाती है। एकविमीय गति में वस्तु निर्देश तंत्र की किसी एक अक्ष के अनुदिश गतिमान होती है जैसी X- अक्ष के अनुदिश कोई वस्तु जब गतिमान होती है तो वस्तु की यह गति एकविमीय गति कहलाती है। उदारहरण- 1- सीधी सड़क पर कर की गति 2- मुक्त रूप से गिरती वस्तु की गति   द्विविमीय गति समतल में वस्तु की गति द्विविमीय गति कहलाती है। द्विविमीय गति में गतिमान वस्तु निर्देश तंत्र की किन्हीं दो अक्षों के साथ समय परिवर्तन पर अपनी स्थिति को परिवर्तित करती है।...

स्थिति एवं निर्देश तंत्र Position or Frame

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स्थिति Position स्वयं से किसी वस्तु की दिशा एवं दूरी का निर्धारण करना उस वस्तु की स्थिति कहते है। जैसे जब हम किसी अज्ञात स्थान के बारे में जानकारी करते है तो सबसे पहले यह जाना जाता है की वह स्थान किस दिशा में है और फिर उसकी दूरी जानकार हम उस स्थान का सही-सही ज्ञान कर लेते है। इस प्रकार दूरी ओर दिशा के द्वारा किसी वस्तु का सही-सही ज्ञान करना ही उस उस वस्तु की स्थिति निर्धारण कहलाता है। भौतिकी में किसी गतिमान वस्तु के बारे में किसी समय विशेष के बारे में जानकारी इसी विधि से प्राप्त की जाती है। निर्देश तंत्र   Frame  जब कसी वस्तु की स्थिति का निर्धारण किया जाता है तो हमें किसी एक विशेष स्थान को या बिन्दु को स्थिर मानना होता है। इस स्थिर बिन्दु को प्रेक्षण बिन्दु कहा जाता है। इसे O से निर्देशित किया जाता है। इस प्रेक्षण बिन्दु से तीन परस्पर लम्बवत दिशा का निर्धारण किया जाता है , जिन्हें क्रमशः X- अक्ष , Y- अक्ष तथा Z- अक्ष कहा जाता है। इस प्रकार निर्देश बिन्दु से किसी वस्तु की दिशा एवं दूरी का निर्धारण जिस भौतिक निकाय के द्वारा किया जाता है उसे निर्देश तंत्र कहते है। निर्देश त...

त्रुटियों का संयोजन Propagation of Errors

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  त्रुटियों का संयोजन Propagation of Errors जब कोई भौतिक राशि दो या दो से अधिक भौतिक राशियों पर निर्भर करती है तो उस राशि की माप में त्रुटि मान ज्ञात करना त्रुटियों का संयोजन कहलाता है। जोड़ , घटाव , गुणा भाग व घतीय गणनाओं के आधार पर त्रुटियों का संयोजन भी 5 प्रकार का होता है जो निम्न प्रकार है- राशियों के योग में त्रुटि राशियों के अन्तर में त्रुटि राशियों के गुणनफल में त्रुटि राशियों के विभाजन में त्रुटि घतीय फलन में त्रुटि राशियों के योग में त्रुटि जब किसी भौतिक राशि का परिमाण दो या दो से अधिक राशियों के योग पर निर्भर करता है तो इस प्रक्रिया में होने वाली त्रुटि योग त्रुटि कहलाती है। माना कोई राशि x राशि a व b से इस प्रकार सम्बन्धित है- x = a + b माना      ∆a = a ∆b = b तब ∆x = ∆a + ∆b तथा x के मान में अधिकतम निरपेक्ष त्रुटि x = [ ∆a + ∆b / a + b ] × 100%   राशियों के अन्तर में त्रुटि जब किसी भौतिक राशि का परिमाण दो या दो से अधिक राशियों के अन्तर पर निर्भर करता है तो इस प्रक्रिया में होने वाली त्रुटि अन्तर त्रु...